मत उड़ा तू कभी भी मज़ाक किसी का कभी कभी कुत्ता भी शेर बन जाता है। मत उड़ा तू कभी भी मज़ाक किसी का कभी कभी कुत्ता भी शेर बन जाता है।
कभी मानव-नरसंहारों के लिए विख्यात जहानाबाद पर लिखी एक आत्मपरक कविता। कभी मानव-नरसंहारों के लिए विख्यात जहानाबाद पर लिखी एक आत्मपरक कविता।
प्रेम में पूरा शहर एक छत बन जाता है प्रेम में पूरा शहर एक छत बन जाता है
हत्या,हत्या ,हत्या आए दिन खबरें ये छपतीं कहीं कोई मरा, किसी ने किसी को दिया दगा, इत हत्या,हत्या ,हत्या आए दिन खबरें ये छपतीं कहीं कोई मरा, किसी ने किसी को ...
भोजन बनाने में मुझे बड़ा मजा आता है, बनाते बनाते ही पेट भर जाता है, भोजन बनाने में मुझे बड़ा मजा आता है, बनाते बनाते ही पेट भर जाता है,
यूं सूरज ढल रहा है, चांद के बहाने रात भर इस संग कौन जागेगा, रात क्या जाने यूं सूरज ढल रहा है, चांद के बहाने रात भर इस संग कौन जागेगा, रात क्या जाने